बिलकिस को सुप्रीम न्याय

सुप्रीम कोर्ट के इतिहासिक फैसले ने वर्षो से चले आ रहे वाद में महत्वपूर्ण बिंदु उजागर किये सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो रेप मामले में गुजरात सरकार द्वारा रिहा किये गये 11 दोषियों की रिहाई को निरस्त कर  दिया है माननीय उच्चतम न्यायलय का ये फैसला सोमबार दिनांक 08 जनवरी 2024 को आया।

क्या है मामला? कौन है बिलकिस बनो?:

दरअसल 27 फरबरी 2002 को कारसेवको से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बो में गोधरा के पास आग लगा दी गयी थी। इसमें 59 लोगो की मौत हुयी , इसी बजह से गुजरात में दंगे भड़क उठे । दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस बानो नाम की महिला साढ़े तीन साल की बेटी “सहिला” और 15 अन्य परिजनों के साथ अपने गॉव से भाग गयी। तब वह 5 महीने  की गर्भवती भी थी ।

दायर चार्ज शीट के अनुसार 12 लोगो समेत करीब ३० लोगो लाठियों एवं जंजीरों से बिलकिस और उसके परिवार पर हमला किया। बिलकिस और 4 महिलाओ की पहले पिटाई की गयी फिर उनके साथ बलात्कार किया गया। इसमें बिलकिस की माँ भी शामिल थी । हमलावरों ने परिवार के कई लोगो की उनके आँखों के सामने उनकी हत्या भी कार दी । हमले में 7 लोग मारे गये, इस मामले में दायर एफ आई आर और केस के बाद 19 मुख्य आयोपियों में से 7 को उम्र कैद की सजा हाई बाकी साक्ष्य के आभाव में छोड़ दिए गये। २ साल पहले सजा पाए 11 दोषी गुजरात सरकार की “दया” से बहार आ गये

बता दे की सोमवार यानि 8 जनवरी २०२४ को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस बीबी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने बिलकिस बानो बलात्कार के 11 दोषियों की सजा माफ़ करने वाले गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कार दिया है। पीठ में लगातार 11 दिन तक सुनवाई कर पिछले साल 12 अक्टूबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उच्च न्यायालय क्यों नही गयी बिलकिस बानो? क्यों चुना सर्वोच्च न्यायालय? :

अदालत ने कहा कि बिलकिस बानो अनुच्छेद 32 के तहत जाचिका दायर करके इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। यह एक मौलिक अधिकार है। जिसमे कहा गया है की व्यक्तियों को संबिधान द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुचने का अधिकार है। अदालत ने बिलकिस को सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की बात पर कहा की किसी किसी मामले में तुरंत न्याय की जरुरत होती है और इसी आधार पे उनकी याचिका को ख़ारिज नही किया जा सकता है। 

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